मेरा अठारहवाँ जन्म दिवस

व्यंग्य

*मेरा अठारहवाँ जन्म दिवस*

आज मेरा 18 जन्म दिवस है, जबकि मनाया रात को जाएगा राम जाने क्यों ऐसा उल्टा चलन है। 
    मैंने आज तक किसी को जन्म रात्रि मनाते हुए नहीं देखा । ऐसा नहीं कि कोई रात को पैदा नहीं होता है स्वयं भगवान कृष्ण ने रात ही में जन्म लिया था कुछ भी हो जन्म दिवस मनाने की एक अजीब प्रथा है। मेरा जन्म दिवस इसलिये मनाया जा रहा है कि मैं जिंदा हूं कुछ लोगों का जन्मदिन इसलिये भी मनाया जाता है कि वह दुनिया के खाते से खर्च हो गये हैं, उनके जन्म दिवस का फायदा सरकारी कर्मचारी और छात्रों को होता है उन्हें 1 दिन की छुट्टी मिल जाती है।
   वैसे मेरे इस प्रकार के जन्मदिवस सत्रह बार आकर  भूतपूर्व हो चुके हैं । यह मेरा अट्ठारह जन्म दिवस है वैसे तो यह भी भूतपूर्व होने ही वाला है लेकिन यह जन्मदिवस मेरे लिए खास अहमियत रखता है क्योंकि इस दिन में बाकायदा भारत का एक जिम्मेदार नागरिक होने के साथ-साथ  बालिग वोटर होने जा रहा हूं जैसे ही मेरे 18वें जन्मदिवस की विधिवत घोषणा हुई कि हमारे नगर के वयोवृद्ध नेता जी आ धमके जो वर्षों से नगरपालिका के पार्षद पद हेतु अपना भाग आजमा रहे हैं, 
   वह भूमिका बनाते हुए बोले - देखो बेटा आज से तुम बालिग  हो आज से तुम्हें हर फैसला स्वयं सोच समझकर करना है आखिर कब तक हम बुजुर्गों के सहारे रहोगे ,
    मैंने कहा क्या आप लोग दुनिया से इस्तीफा दे रहें
 वह फीकी हंसी हंसते हुए बोले नहींं नहीं बेटा मेरे कहने का मतलब अब तुम्हारे वोट पर  भारत का भविष्य निर्भर करता है। और मैंने मन ही मन कहा आपका भी 
 आदरणीय नेता जी - भारत का भविष्य या आपका .....
  वह बचे हुए दांतो की नुमाइश करते हुए बोले--- हैं तू बड़ा नटखट है देखो  अपने वोट को बर्बाद मत होने देना  तुम मेरी पार्टी जॉइन कर ले और मेरे चुनाव चिन्ह कुर्सी पर ही अपनी मोहर लगाना....
मैंने कहा ...और कुर्सी आपको दिला दूँ! नेताजी वह  पुनः फीकी हंसी हंसते हुए बोले तू  बड़ा समझदार है ,अच्छा चलता हूं  अभी कुछ और लोगों से भी मिलने जाना है जो अभी अभी 18 साल के हुए। 
मैंने सोचा उनका भी कल्याण हो गया समझो। 
किन्तु आज मुझे अपने पैदा होने का सच्चा अहसास हुआ। 
  नेता जी निपटे  तो मैंने अपने पिताजी से कहा सुना पिताजी- अभी अपने नेता जी क्या कह गए कि मैं बालिग हो गया हूं अपने निर्णय स्वयं का सकता हूं। आज मैं बैंक में जाकर अपने सारे खाते स्वयं ड्राइव  करूंगा।  वह डांटते हुए बोले-  अभी तुम सरकार और नेताजी की नजर में बालिग हुये हो अभी तक तुम ने दस जमात भी पास नहीं की है अभी अठारह को हुए हो अट्ठाइस के नहीं सरकार की कोई सम्मान जनक नौकरी पाने में भी  सक्षम नहीं हो ...
मैंने कहा- मैं सरकार और संविधान की नजर में तो  बालिग हो गया हूँ  ऐसा तो आप भी  मानते  हो, 
वह  बोले ...उनके मानने  या न मानने से क्या होता है तुम मेरे लड़के हो जब तक मैं ना मानूं तब तक बालिग नहीं हो सकते तेरी क्षमता  के बारे में मैं जानता हूं सरकार नहीं उन्हें तेरी क्षमता नहीं तेरा वोट चाहिए  अभी तेरे हाथ नौकरी योग नहीं है केवल वोट देने  योग्य हुए हैं अभी अपने पैरों पर खड़े होने योग्य नहीं है केवल चुनाव में खड़े होने योग्य हुआ है और न जाने क्या-क्या बकते हुई दफ्तर को चले गये। 
     मैंने सोचा पिताजी ठीक कहते हैं मैं अपना भाग्य चमकाने योग्य नहीं नेताजी के भाग चमकाने हुआ हूं ,
  मेरे 18 वर्ष पूरे होने का पूरा पूरा फायदा हमें नहीं हमारे नेता जी को होने जा रहा है किंतु में चुनाव प्रचार  करने योग्य  तो हो गया लेकिन शादी करने योग्य नहीं हुआ क्योंकि भारत में लड़के की शादी की उम्र 21 वर्ष और लड़कीयों की  शादी करने मात्र 18 वर्ष जरूरी है । 
  काश! मैं भी लड़की होता तो कम से कम शादी के लिए भी  बालिग हो जाता। 

के एल सोनी विनोदी 
महाराजपुर जिला छतरपुर मध्यप्रदेश

   18
5 Comments

Babita patel

01-Feb-2023 05:47 AM

osm post

Reply

Mithi . S

15-Oct-2022 08:31 PM

बेहतरीन रचना

Reply

Sachin dev

15-Oct-2022 07:07 PM

Well done ✅

Reply